डायबिटीज के किडनी पर दुष्प्रभाव को रोकने के लिए क्या करें .......
आज देश में 6.8 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित है। आशंका है की 2040 में यह संख्या 14 करोड़ से ज्यादा हो सकती है। दुनिया में मधुमेह की राजधानी बन चुके देश में हर 12 वां व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है। और 2 में 1 को डायबिटीज होने की आशंका है। हमारे देश में चुनौती यह है की मरीज को डायबिटीज है , यह उसे भी काफी देर बाद पताचलता है ,जिससे उपचार मर देरी होती है। समय पर अनियमितता को पहचान किया जाए , तो उपचार भी जल्दी शुरू किया जा सकता है।
डायबिटीज के 85 फीसदी मरीज मोटापे से ग्रसित है। डायबिटीज के ऐसे मरीज यदि 5 किलो बजन काम क्र ले तो शुगर लेवल 30 एमजी और ब्लडप्रेशर 6 एमएम एचजी तक कम हो सकता है। मधुमेह को नियनत्रण में रखकर ही उसके माइक्रो और मेक्रो वैस्क्युलर समस्याओं से बच सकते है।
डायबिटीज नेफ्रोपैथी यानि किडनी पर डायबिटीज का असर किडनी फेलियर के सबसे बड़ा कारण है। शुगर को सामान्य स्तर में लाकर, संतुलित स्बास्थ्यवर्थक आहार लेकर, चर्बीयुक्त खाद्य से दुरी बनाकर, एक साथ बहुत सारा भोजन के बजाय उसे छोटे - छोटे मिनी आहार में तब्दील करके लेने , 45 मिनट नियमित अहलने और 7 -8 घंटे सोने और तनाव रहित रहने से डायबिटीज के किडनी पर असर को दूर रखा जा सकता है।
यह रोग कैसे है :-
डायबिटीज नेफ्रोपैथी मधुमेह से जुड़ा रोग है। मधुमुह के विभिन्न अंगों कारण ही इसे खतरनाक कहा जाता है जब यह आँखों पर प्रभाव डालती है। तो उसे रेटिनोपैथी और जब किडनी पर प्रभाव पड़ता है तो नेफ्रोपैथी कहते है।
किडनी फेलियर को कैसे रोक सकते है :-
अगर किडनी पर असर दिखाई देने लगा है तो शुरुआत से ही इसे गंभीरता से लेना आवश्यक हैं। डॉक्टर ही सलाह का पालन जरुरी है। ऐसे में मधुमेह की दवाइयों में तब्दीली करनी पड़ती है। ऐसी दवाइयों के प्रयोग करना होता है , जिससे किडनी पर प्रभाव काम हो। की बार इन्सुलिन लेने की आवश्यकता भी होती है।
इन लक्षणों से पता चलता है कि किडनी पर प्रभाव पड़ रहा है :-
1. यूरिन बहुत कम आना।
2. पैरो में सूजन आना।
3. यूरिन में अत्यधिक प्रोटीन की मात्रा निकलना।
4. आँखों में सुजन।
5. भूख की कमी।
6. मोटापा , वजन में वृद्धि, थकान आदि।
जीवनशैली में क्या बदलाव बीमारी से बचा सकता है :-
1. शाररिक व्यायाम करने से
2. योग तनाव कम कर सकता है, योग करना चाहिए।
3. जुम्बा कर सकते है।
4. अधिक से अधिक पैदल चलना चाहिए।
खान-पान में भी सावधानी बरतना जरुरी है :-
1. कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थो को खाने से बचे।
2. आलू, गुड़ , शक़्कर न खाये।
3. सुगर लेवल 400 -500 रहता है तो रोगियों को शहद नहीं खाना चाहिए।
4. हरी सब्जियाँ , शलाद खाना चाहिए।
5. फलों का जूस बिल्कुल न पीये इसके बजाय फलो को खाना चाहिए।
6. ऑवला , करेला , लौंकी आदि की सब्जियों के रस ले सकते है।
7. सुखी भेल खा सकते है , गाजर ककड़ी खा सकते है।


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