हेलो दोस्तों आप सिंथेटिक आयल के बारे में जानना चाहते है। तो आप सही जगह में है इस पोस्ट में आपको सिंथेटिक आयल के बारे में जानने को मिलेगा पूरी जानकारी के साथ। और इसके सही उपयोग के बारे में जानेंगे। जिसमे सिंथेटिक आयल क्या है? सिंथेटिक आयल कैसे उपयोग करे? इसके फायदे क्या क्या है? इसके मिथ कौन कौन से है?
सेमिसिन्थेटिक ऑयल की शुरुआत French कंपनी मोतुल ने सन 1966 में पेश किया था। जिसमें 18 % सिंथेटिक ऑयल होता है , और बाकि मिनिरल आयल होता है। मिनरल आयल की लाइफ 10000 किमी से लेकर 15000 किमी होता है। सेमिसिन्थेटिक ऑयल की लाइफ 15000 -20000 किमी होती है। जिसे Pure सिंथेटिक आयल कहते है। सेंथेटिक ऑयल की लाइफ 10000 - 15000 मील ( 16000 -24000 किमी ) होती है।
लेकिन भारत में आने वाले सभी गाड़ियों की सर्विसिंग एक साल में या 10000 किमी में होती है। यानी की आप 24000 किमी वाला ऑयल आप 10000 किमी के बाद सर्विसिंग करानी पड़ती है, और इंडिया लगभग 92 % करे साल में 10000 किमी भी नहीं चलती है। जिसके कारण उन्हें पता ही नहीं होता है कि उन्हें सिंथेटिक ऑयल की जरुरत है कि नहीं।
सिंथेटिक ऑयल के फायदे :-
सेंथितिक आयल की शुरुआत 1930 में जर्मनी में हुई थी। उस समय हिटलर का राज था। जिसके कारण आयल सप्लाई मुश्किल था। उस समय कारों में पेट्रोलियम का उपयोग किया जाता था। तब जर्मनी ने अपना खुद का इंजन बनाया। क्योकिं वो सेल्फ डिपेंड होना चाहता था। फिर उन्होंने एक बेहतरीन सिंथेटिक ऑयल बनाया। जो कि सर्दी में भी अपनी चिकनाहट बरकरार रखता था। जिसे टेक्नोलॉजी के Term में Vescosity कहते है। आसान शब्दों में सिंथेटिक आयल का पर्पस बहुत ज्यादा बर्फीले स्थनो में जहाँ की इंजन ऑयल जम जाता हो। उस जगह पर भी ओह चिकनाहट बरकरार रखें। और उन कंडीशन में भी काम करे जब इंजन बहुत ज्यादा गर्म हो जाये। सिंथेटिक ऑयल का ज्यादा यूज जेट विमानों में किया जाता है। क्योकिं विमान ऊपर जाने पर तापमान ( माइनस ) में चला जाता था। और जमीन पर तापमान बढ़ जाता है। यानी एक ऐसा आईल जो की हर कंडीशन में बेहतर तरीके से काम करें। जब भी आप इंजन ऑयल खरीदने जाते है। तो उसमें एक कोड लिखा होता है। SAE OW -20 -40 जैसे सिंथेटिक ऑयल बनता है। मिथेल गैस हो Liquid formaion से पॉली अल्फ़ालीन केमिकल को मिलकर बनाया जाता है। और ये 1,2,3 में होता है। Acual में सिंथेटिक ऑयल जो मार्केट में मिलता है, वो Pure सिंथेटिक ऑयल नहीं होता है। हालाकिं उसे पुरे कहके बेचा जाता है। उसमे सिंथेटिक ऑयल केवल 27 % होता है। यानी उसमें 70 % तो अभी भी मिनरल ऑयल ( पेस्ट्रोलियम ) , बाकी 3 % केमिकल होते है। जो की इंजन को कूलिंग में काम आता है।
सेमिसिन्थेटिक ऑयल क्या होता है ? सेमिसिन्थेटिक ऑयल की शुरुआत French कंपनी मोतुल ने सन 1966 में पेश किया था। जिसमें 18 % सिंथेटिक ऑयल होता है , और बाकि मिनिरल आयल होता है। मिनरल आयल की लाइफ 10000 किमी से लेकर 15000 किमी होता है। सेमिसिन्थेटिक ऑयल की लाइफ 15000 -20000 किमी होती है। जिसे Pure सिंथेटिक आयल कहते है। सेंथेटिक ऑयल की लाइफ 10000 - 15000 मील ( 16000 -24000 किमी ) होती है।
लेकिन भारत में आने वाले सभी गाड़ियों की सर्विसिंग एक साल में या 10000 किमी में होती है। यानी की आप 24000 किमी वाला ऑयल आप 10000 किमी के बाद सर्विसिंग करानी पड़ती है, और इंडिया लगभग 92 % करे साल में 10000 किमी भी नहीं चलती है। जिसके कारण उन्हें पता ही नहीं होता है कि उन्हें सिंथेटिक ऑयल की जरुरत है कि नहीं।
सिंथेटिक ऑयल के फायदे :-
- Strim Weather के लिए फायदे मंद है। क्योकिं इसकी Vescosity अच्छी रहती है।
- इसकी stability अच्छी होती है। जिसमे चिकनाहट लम्बे समय तक होती है।
- इसमें गंदगी अच्छे से मिल नहीं पाती हैं।
- इसकी लाइफ ज्यादा होती है। जो कि 16000 -24000 किमी के लिए है।
- ठंड के दिनों में आयल जमती नहीं है। जिससे इंजन आसानी से स्टार्ट हो जाती है।
- इंजन की लाइफ बढ़ जाती है। यह एक मिथ है, सिंथटिक आयल के उपयोग से केवल आपके आयल की परफॉरमेंस बढ़ती है।
- इंजन की पावर बढ़ जाती है। यह गलत है क्योकि अगर मिनिरल आयल का भी अच्छे कंडीशन में उपयोग किया जाए तो परफॉरमेंस में अंतर नहीं आता।
- सिंथेटिक आयल एक उपयोग करने के बाद आप मिनिरल आयल का उपयोग नहीं कर सकते। यह पूरी तरह से एक मिथ है। क्योंकि सिंथेटिक आयल और मिनिरल आयल में अंतर केवल चिकनाहट की है।
- पुराने वाहनों में सिंथेटिक आयल का उपयोग नहीं करना।

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